चिट्ठियाँ(Chitthi i hai lyrics)
प्यार में दिल की सियाही, से लिखी वो चिट्ठियाँ
चैन औ दिल के करारो, से पगी वो चिट्ठियाँ |
था कभी पतझड़ सरीखा, यह जहाँ मेरे लिए
रौनके लाती बहारो, से सजी वो चिट्ठियाँ |
ये नीरस बेरंग होने, थे लगे उस दौर मे
रंग ले आई गुलाबो, मे रखी वो चिट्ठियाँ |
नेह है शायद उसे, पर प्रीत है शायद नहीं
लो गई सुलझा जवाबो, से भरी वो चिट्ठियाँ |
हो गये इतने बडे हम, भूल बैठे है जहाँ
याद आई फिर दुआओ से गढी वो चिट्ठियाँ |
हाल ना पूछे सुनाये, याद तब आती मुझे
हूँ कुशल चाहूँ , रिवाजो से बन्धी वो चिट्ठियाँ |
वे घने थे बहुत जिनकी छत्रछाया मे पले
याद आती है सुझावो से भरी वो चिट्ठियाँ |
चल दिया जो छोड़ जग, को वह भला क्या आयगा
काश! फिर आती सितारो से कभी वो चिट्ठियाँ।।
©शालिनी खन्ना

कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें