मंगलवार, 23 मई 2023

आज सुबह जब मैनें अपनी लेखनी उठाई थी

 inspirational kavita in hindi

आज सुबह जब मैनें अपनी लेखनी उठाई थी


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आज सुबह जब मैंने अपनी लेखनी उठाई थी.....


चारों दिशाएं शांत थी ,शांत था माहौल


सोंचा जल्दी से बुन डालूं ,मैं शब्दों के जाल…


विषय-वस्तु क्या हो ,दिमाग पर जोर डाला


घूम गई नज़र कमरे मे ,कलम ,घडी या ताला..


’एक प्याली चाय मिलेगी क्या’ पतिदेव की आवाज़ आई थी


आज सुबह जब मैने अपनी लेखनी उठाई थी.....

 


उनके इस आग्रह पर गुस्सा बडा आया था


फिर एक अच्छी पत्नी का ,मैने फर्ज निभाया था..


शांत किया खुद को ,फिर लिया मेज का रुख


इतने में खटपट बच्चों की ,क्रोध से तन गया मुख..


’भैया ने मुझे मारा’ दूसरे कमरे से बिटिया चिल्लाई थी.


आज सुबह जब मैने अपनी लेखनी उठाई थी.....

 


शांत किया उन दोनो को ,फिर लेखन की बारी आई


लिख डालूं दहेज या कन्या-भ्रूण हत्या पर ,सोंच कलम उठाई…


सरकार के रवैये पर लिख डालूं ,जो जनता को रुला रही है,


या पेट्रोलरसोई गैस पर ,जो हर दिन सता रही है…


’दूध ले लो ओ ओ ....’की आवाज़ तब ग्वाले ने लगाई थी.


आज सुबह जब मैने अपनी लेखनी उठाई थी.....

 


मूड हो गया था चौपट ,फिर भी लिखने की शुरु की कवायद


कुछ-न-कुछ रच ही डालूंगी ,सोंच लिया था शायद…


परिस्थितियां अनुकूल नहीपर काम करते जाना है


बहुत कुछ पाकर खोना हैऔर कुछ खोकर पाना है…


इन्हीं बातों को सोंचकर मन-ही-मन मुस्कराई थी.


आज सुबह जब मैने अपनी लेखनी उठाई थी....


©शालिनी खन्ना



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रविवार, 26 फ़रवरी 2023

अब तक भूल न पायी माँ


अब तक भूल न पायी  माँ ( Ma par hindi kavitayen )


Ma par hindi kavitayen


(1) पल, घण्टे, दिन, सप्ताह बीते
चलती रही दुनियाँ
यू़्ं कर करके महीनों बीते
फिर भी कहाँ रुकी दुनिया
महीनो करते साल भी बीते 
पर भूल न पाई माँ ... 
तुमको भूल न पाई माँ
अबतक भूल न पाई माँ..

बचपन बीता गोद मे तेरे
लाड़ प्यार संग झिड़की मीठी
दी संस्कारों की तब शिक्षा
जब मै थोड़ी हुई बड़ी
हर इच्छा मेरी,खुशी तुम्हारी
कभी न कहती ना
तुमको भूल न पाई माँ
अबतक भूल न पाई माँ

जब मुश्किल मे मैं घिर आई
आँखें तुम्हारी तब भर आई
देवी देवता पाठ मनौती
तुमने कभी भी ना बिसराई
अब जाना हममे ही अटकी 
होती थी तेरी जाँ
तुमको भूल न पाई माँ
अबतक भूल न पाई माँ

बुरी लगती थी टोक तुम्हारी
बिना बात नोक झोंक तुम्हारी
खुद को नवीन युग का कहती 
बातें तुम्हारी जाहिल सी लगती
अब जाना तुम कितनी सही थी
जब बनी बिटिया की माँ
तुमको भूल न पाई माँ
अबतक भूल न पाई माँ

अब भी मै बच्ची हूँ मम्मा
अक्ल की कुछ कच्ची हूँ मम्मा
दुनियादारी नही है आती 
तुम होती तो ये समझाती
 तुम होती तो यह कह जाती
 तुम होती तो वह बतलाती 
जीवन मौत का कैसा ये क्रम
कहाँ चली गई माँ

तुमको भूल न पाई माँ
अबतक भूल न पाई माँ.

                     

             (2)    ताज्जुब है..जाने कैसे ,उस घर-आंगन को भूल गई , 

 जहां गुजारे इतने सावन ,उस प्रांगन को भूल गई..

                अपने धुन मे रही मस्त ,वो बीते दिनो की बात हुई , 

         समझ न पाई हुई व्यस्त ,कब दिन बीता कब रात हुई..

      बडे दिनो के बाद ,एक हुक-सी दिल मे उठ आई है
         कोशिश लाख किया पर जाने, आंखे क्यूं भर आई है....

 ©शालिनी खन्ना

 

Ma par hindi kavitayen

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

प्रेम की होली

     

प्रेम की होली (holi in 2023 in india)


  होली हमारे देश में मनाये जाने वाले प्रमुख त्यौहारों में से एक है. यह रंगों का त्यौहार है .यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन सभी लोग आपसी मतभेद को भुलाकर रंगों के इस त्यौहार को साथ-साथ मनाते हैं और एक दूसरे को रंग लगाकर बधाई देते हैं। इस वर्ष यानि 2023 में होली 8 मार्च को है. होली से एक दिन पहले होलिका दहन होता है जो इस वर्ष 7 मार्च को है....

वैसे तो सभी रंग सुन्दर होते हैं , लेकिन इन सब में प्यार का रंग सबसे सुन्दर होता है..होली के अवसर पर पर आप सभी के लिए मेरी यह कविता प्रस्तुत है....


holi in 2023 in india


बड़ी नफरतें फ़ैल चुकी, अब नेह सुधा बरसाएं

सब रंगों को छोड़, चलो अब प्यार का रंग लगाएं

 

अब ना जाति धरम की चर्चा

अब ना गरमा गरमी कोई

मन हो निर्मल शांत भावना, अलख यही है जगाएं

सब रंगों को छोड़ चलो अब प्यार का रंग लगाएं

 

ना छोटा ना बड़ा हो कोई

भेदभाव ना खड़ा हो कोई

समरसता का भाव हो दिल में, जग को यह सिखलाएं

सब रंगों को छोड़ चलो अब प्यार का रंग लगाएं

 

चाहे चोर फ़कीर हो कोई

चाहे रंक अमीर हो कोई

इंसानियत है सबसे पहले, इक-इक को समझाएं

सब रंगों को छोड़ चलो अब प्यार का रंग लगाएं.....

                                                                          ©शालिनी खन्ना


holi in 2023 in india

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023

सरस्वती वंदना

 सरस्वती वंदना (sarswati vandana in hindi)

sarswati vandana in hindi




माँ शारदे! माँ शारदे,

विद्या का तू उपहार दे

ना हो कभी कलुषित ये मन,

ऐसा तू जीवन सार दे

दे ज्ञान का भंडार तू

अज्ञानता को दूर कर

गीत दे औ साज दे

संगीत की झनकार दे...

माँ शारदे ! माँ शारदे !

©शालिनी खन्ना

    

sarswati vandana in hindi   

saraswati mata aarti pdf

सरस्वती वंदना ( saraswati mata aarti pdf )   माँ सरस्वती वरदायिनी, मै नित करूँ आराधना यूँ लेखनी चलती रहे, करती हूँ तुमसे प्रार्थना दे शब्द ...