पीर सहना सीख ले, जैसे धरा सहती यहाँ
है सरल सुंदर बड़ी, अपने धुनो में है मगन
राह मे पाषाण रोड़े, जीत की है पर लगन
सीख कर तू भी बहे, जैसे नदी बहती यहाँ
धीर धरना सीख ले.................
है सहारा जो तेरा, उससे निभाना सीख ले
दूर जाता जो बहाने से, बहाना सीख ले
लिपटकर तू नेह दे, जैसे लता करती यहाँ
धीर धरना सीख ले.................
साथ देना हर किसी का, पर कभी ना बोलना
जिंदगी देना सदा पर, मुख कभी ना खोलना
ना दिखो पर साथ हो, जैसे हवा रहती यहाँ
धीर धरना सीख ले.................
खूबियो से है भरी पर, ऐठ ना दिखती कभी
डाल झुक जाती वही जो, फूल-फल से है लदी
है गुणों की खान पर्णी, नम्र पर रहती यहाँ
धीर धरना सीख ले.................
©शालिनी खन्ना





