शनिवार, 3 फ़रवरी 2024

दोहे ....


दोहा (doha kaun sa chhand hai )

doha kaun sa chhand hai


दोहा अर्द्ध सममात्रिक छंद है| यह दो पंक्तियों एवं चार चरण का होता है| इसके विषम चरणों में १३-१३ मात्राएँ होती हैं तथा सम चरणों में ११-११ मात्राएँ होती हैं...


मेरे 10 दोहे -

1.
पूस माघ आया लिए, ठंढे दिन औ रात।
सर्द हवा सर सर बही , सिहर रहे हैँ गात।।

2.
वक्त वक्त की बात है, पल निशा कभी भोर।
झुलसाती देह धूप जो, आज पड़ी कमजोर।।

3.
सबक सैकड़ो दे गया, बुरा चला वह चाल।
खुशियां लेकर आ रहा, फिर से नूतन साल।।

4.
रविकर को नित नमन कर, है जीवन आधार।
कर्म सदा करते चलो, हो ऊर्जा संचार।।

5.
राम हुए आदर्श जब, इनसे बड़ा न कोय।
दीन हीन तर जाएंगे, अब काहे को रोय।।

6.
दिवस सुनहरा है खड़ा, तम भागा उस पार।
विरह मिलन सुख दुख सभी , हैँ जीवन के सार।।

7.
जो लिख जाऊँ मैं कभी ,पोथी होगी गौण ।
एक नाम है राम का ,जो गर्मी में पौन ।।

8.
रात बड़ी सुनसान जब, नींद अघाती जाय।
समझो पहुंची चरम पर, शीत बताती जाय।।

9.
देह अकड़ती जात है, जब भी बढ़ती ठण्ड।
तन व मन दोनो अकड़े, जब भी बढ़े घमण्ड।।

10.
गरम रजाई मे घुसे, देते रहते ज्ञान।
सिकुड़ रहे जो शीत से, इनका कहीं न मान।।

©शालिनी खन्ना

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