रविवार, 31 दिसंबर 2023

धीर धरना सीख ले


सीखो (seekho poem in hindi)

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धीर धरना सीख ले, जैसे धरा धरती यहाँ
पीर सहना सीख ले, जैसे धरा सहती यहाँ


है सरल सुंदर बड़ी, अपने धुनो में है मगन
राह मे पाषाण रोड़े, जीत की है पर लगन
सीख कर तू भी बहे, जैसे नदी बहती यहाँ 
धीर धरना सीख ले.................


है सहारा जो तेरा, उससे निभाना सीख ले
दूर जाता जो बहाने से, बहाना सीख ले
लिपटकर तू नेह दे, जैसे लता करती यहाँ
धीर धरना सीख ले.................


साथ देना हर किसी का, पर कभी ना बोलना
जिंदगी देना सदा पर, मुख कभी ना खोलना
ना दिखो पर साथ हो, जैसे हवा रहती यहाँ
धीर धरना सीख ले.................


खूबियो से है भरी पर, ऐठ ना दिखती कभी 
डाल झुक जाती वही जो, फूल-फल से है लदी 
है गुणों की खान पर्णी, नम्र पर रहती यहाँ 
धीर धरना सीख ले.................
©शालिनी खन्ना

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गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

वेदना के स्वर....


गज़ल (ghazal quotes in hindi

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रात भर जज़्बात ले आगोश में
वेदना के स्वर बड़े मुखरित हुए



अश्रुओं ने साथ जी भर के दिया
ले नयन बोझिल मगर गर्वित हुए


स्याह सूना हैँ लगे अब ये जहां
ज्यों कि दुनिया में हमी शापित हुए


संग जीने का रहा वादा मगर
जी रहे पर मौत की हसरत लिए 


सुख सभी पर एक तुम बिन हाल ये
हँस रहे पर खुशियों से वंचित हुए



ढूंढते हैं नैन तुमको दर बदर
याद करके आप ही द्रवित हुए



मौत सच, है ज़िन्दगी झूठी बड़ी
देख कर ये दास्तां व्यथित हुए।


©शालिनी खन्ना

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शनिवार, 23 दिसंबर 2023

अंतर्जाल के इस युग ने....

         अंतर्जाल की दुनिया(internet of things kya hai )       

internet of things kya hai


अंतर्जाल के इस युग ने दी, ये कैसी मजबूरी है
मन मे खुशी भले ही ना हो, दिखना मगर जरूरी है...


कहां भला मन रमता अब तो, सुन्दर पर्वत वादी में
कहां रखी अब हंसी ठिठोली, अपने जन की शादी में
कर मौके को कैद फोन में , स्टेटस रंगना जरूरी है
मन मे खुशी भले ही ना हो, दिखना मगर जरूरी है...



तार जुड़े ना भले हृदय के ,पर फिर भी अपनापन है
मन के अंदर भले हो पतझड, पर बाहर से सावन है
ऊपर रटते राम राम पर , भीतर रहती छूरी है
मन मे खुशी भले ही ना हो, दिखना मगर जरूरी है...



हर दिन के इकरस जीवन से, सबको पार उतरना है
कभी थियेटर को जाना है, कभी तो शापिंग करना है
मजे कहां मूवी शापिंग के , सेल्फी ही बस धूरी है
मन मे खुशी भले ही ना हो, दिखना मगर जरूरी है..

©शालिनी खन्ना 

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सोमवार, 18 दिसंबर 2023

आ गया अवसान जीवन का मनुज सुन

जिंदगी का सफर (zindagi ek safar hai)

zindagi ek safar hai


आ गया अवसान जीवन का मनुज सुन
त्याग कर दुनिया चलो नूतन सफर को
है धरा रह जायेगा, जो धन कमाया
आचरण ही जायेगा सँग उस डगर को


छोड़ दे अब मोह किसका कर रहा तू
जेब ना होती कफन में सुन पियारे
रात दिन खटता रहा, एक पल रुका ना
चल चला चौसठ घड़ी आठो पहर को


साथ यौवन के तुम्हारे पाप आया
झूठ सच, व्यभिचार सारे साथ लाया
वेदना में क्यूँ पड़ा जीवन गँवाकर
छोड़कर पीयूष अपनाया जहर को


ईश ने अग्रज बना भेजा जहाँ में
भार अवरज का किया तेरे हवाले
स्वार्थवश भू के किये हिस्से तुम्ही ने
प्यार सागर छोड़, पाया धन नहर को


थी जरुरत जन्मदाता को तुम्हारी
आश्रमो में काटते दिन बेबसी के
आस में पथरा गई थी चार आँखे
कौन सी है अब सजा इस बेखबर को


आ गया अवसान जीवन का मनुज सुन 
त्याग कर दुनिया चलो नूतन सफर को
©शालिनी खन्ना 



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सोमवार, 11 दिसंबर 2023

कह रही है ज़िन्दगी

   

जीवन मंत्र  (jeevan mantra in hindi)

jeevan mantra in hindi

मत बिखरना देख गम को, कह रही है ज़िन्दगी

क्या इतरना देख खुशियाँ, कह रही है ज़िन्दगी




रंक राजा होत क्षण मे, दिन बदलता देख ले

हो रहा पल मे प्रलय जो, कह रही है जिंदगी




गर्व करता क्यों भला तू , दे रहा भगवान है

नाम उसका गर्व भंजन, कह रही है जिंदगी




नाज किसका कर रहा तू,आज है तो कल नही

देह माटी मे मिलेगी , कह रही है ज़िन्दगी




साथ रख संवेदनाऐं , गर मिले कोई दुखी

आ निभा इंसानियत को, कह रही है ज़िन्दगी |




मोह-माया मत बढ़ाएं चार दिन की ज़िन्दगी

है कभी मिलना बिछड़ना, कह रही है ज़िन्दगी||

© शालिनी खन्ना

jeevan mantra in hindi

शनिवार, 2 दिसंबर 2023

विरासत में मिले त्यौहार

विरासत में मिले त्यौहार (Tyohar poem in hindi)

Tyohar poem in hindi



है विरासत में मिले त्यौहार कैसे देख लो।
है गले मिलते खुशी सँग प्यार कैसे देख लो।


पूज्य हैं गणपति हमारे, देव सबसे धन्य हैं।
नित करे हम प्रार्थना तो खोलते पथ अन्य हैँ।
हों भरे भंडार सारे अन्न धन से देख लो।
है विरासत में मिले.................................


है कभी माँ शारदे पूजन कभी आराधना।
है कभी दुर्गा कभी लक्खी करूँ मैं साधना ।
साथ सात्विक पौष्टिक आहार कैसे देख लो
है विरासत में मिले...........................


देवता ज्यों मानती, जंगल नदी को पूजती।
चाँद , तारे, सूर्य पर्वत की करे नित स्तुती।
पूजती हैँ धेनु माँ सौ बार कैसे देख लो
है विरासत में मिले.................................


बात सूर्यॉपासना की हो अगर तो जान लो।
दे रहे सेवा सभी जो काम कोई ठान लो।
साथ मिल जुलकर चले परिवार कैसे देख लो।
है विरासत में मिले...........................


है कभी संकल्प लेते , मांगते मन्नत कभी।
शुचि हवन करते कभी तो, जाप करते है कभी।
फिर मिले सुख शाँति का अम्बार कैसे देख लो।
है विरासत में मिले..................................


उम्र लम्बी शांति सुख मांगती संतान की।
दुख न आये जिंदगी भर, श्रेष्ठ हो श्रीमान की।
रख रही व्रत शक्ति बारम्बार कैसे देख लो।
है विरासत में मिले..................................

©शालिनी खन्ना





Tyohar poem in hindi 

गुरुवार, 23 नवंबर 2023

दुआओ से गढी वो चिट्टियाँ

         चिट्ठियाँ(Chitthi i hai lyrics)

                                                                              

  • chitthi i hai lyrics



प्यार में दिल की सियाही, से लिखी वो चिट्ठियाँ
चैन औ दिल के करारो, से पगी वो चिट्ठियाँ |


था कभी पतझड़ सरीखा, यह जहाँ मेरे लिए
रौनके लाती बहारो, से सजी वो चिट्ठियाँ |


ये  नीरस बेरंग होने, थे लगे उस दौर मे
रंग ले आई गुलाबो, मे रखी वो चिट्ठियाँ |


नेह है शायद उसे, पर प्रीत है शायद नहीं
लो गई सुलझा जवाबो, से भरी वो चिट्ठियाँ |


हो गये इतने बडे हम, भूल बैठे है जहाँ 
याद आई फिर दुआओ से गढी वो चिट्ठियाँ |


हाल ना पूछे सुनाये, याद तब आती मुझे
हूँ कुशल चाहूँ , रिवाजो से बन्धी वो चिट्ठियाँ |


वे घने थे बहुत जिनकी छत्रछाया मे पले
याद आती है सुझावो से भरी वो 
चिट्ठियाँ |


चल दिया जो छोड़ जग, को वह भला क्या आयगा
काश! फिर आती सितारो से कभी वो चिट्ठियाँ।।

©शालिनी खन्ना

chitthi i hai lyrics

मंगलवार, 23 मई 2023

आज सुबह जब मैनें अपनी लेखनी उठाई थी

 inspirational kavita in hindi

आज सुबह जब मैनें अपनी लेखनी उठाई थी


inspirational kavita in hindi



आज सुबह जब मैंने अपनी लेखनी उठाई थी.....


चारों दिशाएं शांत थी ,शांत था माहौल


सोंचा जल्दी से बुन डालूं ,मैं शब्दों के जाल…


विषय-वस्तु क्या हो ,दिमाग पर जोर डाला


घूम गई नज़र कमरे मे ,कलम ,घडी या ताला..


’एक प्याली चाय मिलेगी क्या’ पतिदेव की आवाज़ आई थी


आज सुबह जब मैने अपनी लेखनी उठाई थी.....

 


उनके इस आग्रह पर गुस्सा बडा आया था


फिर एक अच्छी पत्नी का ,मैने फर्ज निभाया था..


शांत किया खुद को ,फिर लिया मेज का रुख


इतने में खटपट बच्चों की ,क्रोध से तन गया मुख..


’भैया ने मुझे मारा’ दूसरे कमरे से बिटिया चिल्लाई थी.


आज सुबह जब मैने अपनी लेखनी उठाई थी.....

 


शांत किया उन दोनो को ,फिर लेखन की बारी आई


लिख डालूं दहेज या कन्या-भ्रूण हत्या पर ,सोंच कलम उठाई…


सरकार के रवैये पर लिख डालूं ,जो जनता को रुला रही है,


या पेट्रोलरसोई गैस पर ,जो हर दिन सता रही है…


’दूध ले लो ओ ओ ....’की आवाज़ तब ग्वाले ने लगाई थी.


आज सुबह जब मैने अपनी लेखनी उठाई थी.....

 


मूड हो गया था चौपट ,फिर भी लिखने की शुरु की कवायद


कुछ-न-कुछ रच ही डालूंगी ,सोंच लिया था शायद…


परिस्थितियां अनुकूल नहीपर काम करते जाना है


बहुत कुछ पाकर खोना हैऔर कुछ खोकर पाना है…


इन्हीं बातों को सोंचकर मन-ही-मन मुस्कराई थी.


आज सुबह जब मैने अपनी लेखनी उठाई थी....


©शालिनी खन्ना



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रविवार, 26 फ़रवरी 2023

अब तक भूल न पायी माँ


अब तक भूल न पायी  माँ ( Ma par hindi kavitayen )


Ma par hindi kavitayen


(1) पल, घण्टे, दिन, सप्ताह बीते
चलती रही दुनियाँ
यू़्ं कर करके महीनों बीते
फिर भी कहाँ रुकी दुनिया
महीनो करते साल भी बीते 
पर भूल न पाई माँ ... 
तुमको भूल न पाई माँ
अबतक भूल न पाई माँ..

बचपन बीता गोद मे तेरे
लाड़ प्यार संग झिड़की मीठी
दी संस्कारों की तब शिक्षा
जब मै थोड़ी हुई बड़ी
हर इच्छा मेरी,खुशी तुम्हारी
कभी न कहती ना
तुमको भूल न पाई माँ
अबतक भूल न पाई माँ

जब मुश्किल मे मैं घिर आई
आँखें तुम्हारी तब भर आई
देवी देवता पाठ मनौती
तुमने कभी भी ना बिसराई
अब जाना हममे ही अटकी 
होती थी तेरी जाँ
तुमको भूल न पाई माँ
अबतक भूल न पाई माँ

बुरी लगती थी टोक तुम्हारी
बिना बात नोक झोंक तुम्हारी
खुद को नवीन युग का कहती 
बातें तुम्हारी जाहिल सी लगती
अब जाना तुम कितनी सही थी
जब बनी बिटिया की माँ
तुमको भूल न पाई माँ
अबतक भूल न पाई माँ

अब भी मै बच्ची हूँ मम्मा
अक्ल की कुछ कच्ची हूँ मम्मा
दुनियादारी नही है आती 
तुम होती तो ये समझाती
 तुम होती तो यह कह जाती
 तुम होती तो वह बतलाती 
जीवन मौत का कैसा ये क्रम
कहाँ चली गई माँ

तुमको भूल न पाई माँ
अबतक भूल न पाई माँ.

                     

             (2)    ताज्जुब है..जाने कैसे ,उस घर-आंगन को भूल गई , 

 जहां गुजारे इतने सावन ,उस प्रांगन को भूल गई..

                अपने धुन मे रही मस्त ,वो बीते दिनो की बात हुई , 

         समझ न पाई हुई व्यस्त ,कब दिन बीता कब रात हुई..

      बडे दिनो के बाद ,एक हुक-सी दिल मे उठ आई है
         कोशिश लाख किया पर जाने, आंखे क्यूं भर आई है....

 ©शालिनी खन्ना

 

Ma par hindi kavitayen

शुक्रवार, 24 फ़रवरी 2023

प्रेम की होली

     

प्रेम की होली (holi in 2023 in india)


  होली हमारे देश में मनाये जाने वाले प्रमुख त्यौहारों में से एक है. यह रंगों का त्यौहार है .यह त्यौहार बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक माना जाता है। इस दिन सभी लोग आपसी मतभेद को भुलाकर रंगों के इस त्यौहार को साथ-साथ मनाते हैं और एक दूसरे को रंग लगाकर बधाई देते हैं। इस वर्ष यानि 2023 में होली 8 मार्च को है. होली से एक दिन पहले होलिका दहन होता है जो इस वर्ष 7 मार्च को है....

वैसे तो सभी रंग सुन्दर होते हैं , लेकिन इन सब में प्यार का रंग सबसे सुन्दर होता है..होली के अवसर पर पर आप सभी के लिए मेरी यह कविता प्रस्तुत है....


holi in 2023 in india


बड़ी नफरतें फ़ैल चुकी, अब नेह सुधा बरसाएं

सब रंगों को छोड़, चलो अब प्यार का रंग लगाएं

 

अब ना जाति धरम की चर्चा

अब ना गरमा गरमी कोई

मन हो निर्मल शांत भावना, अलख यही है जगाएं

सब रंगों को छोड़ चलो अब प्यार का रंग लगाएं

 

ना छोटा ना बड़ा हो कोई

भेदभाव ना खड़ा हो कोई

समरसता का भाव हो दिल में, जग को यह सिखलाएं

सब रंगों को छोड़ चलो अब प्यार का रंग लगाएं

 

चाहे चोर फ़कीर हो कोई

चाहे रंक अमीर हो कोई

इंसानियत है सबसे पहले, इक-इक को समझाएं

सब रंगों को छोड़ चलो अब प्यार का रंग लगाएं.....

                                                                          ©शालिनी खन्ना


holi in 2023 in india

मंगलवार, 7 फ़रवरी 2023

सरस्वती वंदना

 सरस्वती वंदना (sarswati vandana in hindi)

sarswati vandana in hindi




माँ शारदे! माँ शारदे,

विद्या का तू उपहार दे

ना हो कभी कलुषित ये मन,

ऐसा तू जीवन सार दे

दे ज्ञान का भंडार तू

अज्ञानता को दूर कर

गीत दे औ साज दे

संगीत की झनकार दे...

माँ शारदे ! माँ शारदे !

©शालिनी खन्ना

    

sarswati vandana in hindi   

saraswati mata aarti pdf

सरस्वती वंदना ( saraswati mata aarti pdf )   माँ सरस्वती वरदायिनी, मै नित करूँ आराधना यूँ लेखनी चलती रहे, करती हूँ तुमसे प्रार्थना दे शब्द ...