चलती का नाम ज़िन्दगी (zindagi yahi reet hai)
चल रही है ज़िन्दगी, अब क्या करे
चल रही है ज़िन्दगी, अब क्या करे
अंतर्जाल की दुनिया(internet of things kya hai )
अंतर्जाल के इस युग ने दी, ये कैसी मजबूरी है
मन मे खुशी भले ही ना हो, दिखना मगर जरूरी है...
कहां भला मन रमता अब तो, सुन्दर पर्वत वादी में
कहां रखी अब हंसी ठिठोली, अपने जन की शादी में
कर मौके को कैद फोन में , स्टेटस रंगना जरूरी है
मन मे खुशी भले ही ना हो, दिखना मगर जरूरी है...
तार जुड़े ना भले हृदय के ,पर फिर भी अपनापन है
मन के अंदर भले हो पतझड, पर बाहर से सावन है
ऊपर रटते राम राम पर , भीतर रहती छूरी है
मन मे खुशी भले ही ना हो, दिखना मगर जरूरी है...
हर दिन के इकरस जीवन से, सबको पार उतरना है
कभी थियेटर को जाना है, कभी तो शापिंग करना है
मजे कहां मूवी शापिंग के , सेल्फी ही बस धूरी है
मन मे खुशी भले ही ना हो, दिखना मगर जरूरी है..
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सरस्वती वंदना ( saraswati mata aarti pdf ) माँ सरस्वती वरदायिनी, मै नित करूँ आराधना यूँ लेखनी चलती रहे, करती हूँ तुमसे प्रार्थना दे शब्द ...