रविवार, 2 फ़रवरी 2025

saraswati mata aarti pdf



सरस्वती वंदना (saraswati mata aarti pdf)

saraswati mata aarti pdf
 

माँ सरस्वती वरदायिनी, मै नित करूँ आराधना

यूँ लेखनी चलती रहे, करती हूँ तुमसे प्रार्थना


दे शब्द कोषो को हृदय मे काव्य का निर्माण हो
दे ज्ञान का आलोक माँ, साकार हो सब भावना

विनती मेरी माता सुनो, श्यामा सी मै गाती फिरू
आकर विराजो कंठ माँ, इतनी करूँ बस कामना

ना हो कभी कलुषित ये मन, सबके लिए सम्मान हो
वीणामयी दो वर यही, करती रहूँ मै अर्चना

वाणी मुखर हो भाव मृदु, कटु वचन ना आये कभी
वागेश्वरी विनती यही, करती हूँ तुमसे प्रार्थना

@शालिनी खन्ना




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शनिवार, 18 जनवरी 2025

वह अकेली

 

वह अकेली(alone hindi quotes )



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छोड़कर क्यूँ चल दिया मझधार में

हाँ अकेली रह गई संसार मे

दिल मे इक तूफान सँभाले हुए
दृग में सावन की झड़ी पाले हुए
लो चली ठोकर जो खाकर राह में
पाँव में फिर अनगिनत छाले हुए
साथ लेकर दर्द सारे वो चली
बस उदासी रह गई रुख्सार मे

छोड़कर क्यूँ चल दिया मझधार में
हाँ अकेली रह गई संसार मे

हाड गलती कँपकँपाती ठंढ मे
सुवन के सपनो की खातिर वो चली
है फटे चिथडो में जलती धूप में
देह मे ले ताप गरमी वो जली
घोर अंधेरा लगे ये जिंदगी
अब कटेगी आंसुओं की धार में

छोड़कर क्यूँ चल दिया मझधार में
हाँ अकेली रह गई संसार मे

रंग में होकर भी क्यों बेरंग हो
ना किसी का साथ ना ही संग हो
कर रही पल-पल की है तैयारियाँ
ज़िन्दगी यूँ जैसे कोई जंग हो
काश ले जाता उसे भी साथ मे
अब नही लागे ये मन घरबार मे

छोड़कर क्यूँ चल दिया मझधार में
हाँ अकेली रह गई संसार मे।।

है बड़ी मुश्किल चलानी जिंदगी
एक पहिये से कभी चलती नहीं
हौसले नारी के कम होते नहीं
भावनाओं में मगर डूबी वही
काश कोमलता को मन से दूर कर
ईश भर देता कडापन नार मे

छोड़कर क्यूँ चल दिया मझधार में

हाँ अकेली रह गई संसार मे।।


फूल हैँ जीवन मे तो काँटे कभी
दुख कभी तो सुख कभी है जिंदगी
सार जीवन का यही कहता हमें
वक्त ना थमता चली है जिंदगी
दुख दिया तो सुख भी वो देगा कभी
आसरे बैठे हुए दरबार में

छोड़कर क्यूँ चल दिया मझधार में
हाँ अकेली रह गई संसार मे।।
@शालिनी खन्ना

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गुरुवार, 15 फ़रवरी 2024

चल रही है ज़िन्दगी....

 

                                          चलती का नाम ज़िन्दगी   (zindagi yahi reet hai)


zindagi yahi reet hai


  चल रही है ज़िन्दगी, अब क्या करे

     दर्द  के  मारे  बिचारे  क्या  करे ।।


रौनकें आयी थी खुशियों सँग कभी
सह मधु पतझड़ भी आता क्या करें।।


हाथ थामे जो चला वादे लिए
छोड़कर वह साथ जाता क्या करें।।


मौत ही जीवन की तो पूरक रही
पर कहाँ मन मान पाता, क्या करें।।


आ रहा मुश्किल भरा इक दौर भी
पर कोई कब जान पाता, क्या करें।।


वेदना औ हर्ष से है जग भरा
कोइ रोता कोइ गाता, क्या करें।।

©शालिनी खन्ना 
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रविवार, 4 फ़रवरी 2024

चाहे रख ले जैसे, अब तेरे हवाले हैँ।।


प्रभु हम पे कृपा करना  (prabhu hum pe kripa karna )

prabhu hum pe kripa karna


जो खेल रचे तूने, प्रभु सबसे निराले हैँ
चाहे रख ले जैसे, अब तेरे हवाले हैँ।।


जब भी दिल से चाहा, आवाज तू सुन लेता
तेरे दम से ही तो, मंदिर व शिवाले हैँ।।


है देकर खुशियो को, पल मे दुख भी देता
जीवन में अंधेरा भी, तुमसे ही उजाले हैँ ।।


है राह भटकते को, रस्ता दिखलाया है
जब - जब हम बिखरे हैं, तूने ही संभाले हैँ ।।


देता पल में जो तू, तो छिन भी लेता है
दानों पर लिख डाला, किस-किस के निवाले हैं।।


है पार करे नैया, मँझधार मे जो डूबी
मुख से जिसने प्यारे, हरि नाम निकाले हैँ।।
©शालिनी खन्ना
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शनिवार, 3 फ़रवरी 2024

दोहे ....


दोहा (doha kaun sa chhand hai )

doha kaun sa chhand hai


दोहा अर्द्ध सममात्रिक छंद है| यह दो पंक्तियों एवं चार चरण का होता है| इसके विषम चरणों में १३-१३ मात्राएँ होती हैं तथा सम चरणों में ११-११ मात्राएँ होती हैं...


मेरे 10 दोहे -

1.
पूस माघ आया लिए, ठंढे दिन औ रात।
सर्द हवा सर सर बही , सिहर रहे हैँ गात।।

2.
वक्त वक्त की बात है, पल निशा कभी भोर।
झुलसाती देह धूप जो, आज पड़ी कमजोर।।

3.
सबक सैकड़ो दे गया, बुरा चला वह चाल।
खुशियां लेकर आ रहा, फिर से नूतन साल।।

4.
रविकर को नित नमन कर, है जीवन आधार।
कर्म सदा करते चलो, हो ऊर्जा संचार।।

5.
राम हुए आदर्श जब, इनसे बड़ा न कोय।
दीन हीन तर जाएंगे, अब काहे को रोय।।

6.
दिवस सुनहरा है खड़ा, तम भागा उस पार।
विरह मिलन सुख दुख सभी , हैँ जीवन के सार।।

7.
जो लिख जाऊँ मैं कभी ,पोथी होगी गौण ।
एक नाम है राम का ,जो गर्मी में पौन ।।

8.
रात बड़ी सुनसान जब, नींद अघाती जाय।
समझो पहुंची चरम पर, शीत बताती जाय।।

9.
देह अकड़ती जात है, जब भी बढ़ती ठण्ड।
तन व मन दोनो अकड़े, जब भी बढ़े घमण्ड।।

10.
गरम रजाई मे घुसे, देते रहते ज्ञान।
सिकुड़ रहे जो शीत से, इनका कहीं न मान।।

©शालिनी खन्ना

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रविवार, 31 दिसंबर 2023

धीर धरना सीख ले


सीखो (seekho poem in hindi)

seekho poem in hindi


धीर धरना सीख ले, जैसे धरा धरती यहाँ
पीर सहना सीख ले, जैसे धरा सहती यहाँ


है सरल सुंदर बड़ी, अपने धुनो में है मगन
राह मे पाषाण रोड़े, जीत की है पर लगन
सीख कर तू भी बहे, जैसे नदी बहती यहाँ 
धीर धरना सीख ले.................


है सहारा जो तेरा, उससे निभाना सीख ले
दूर जाता जो बहाने से, बहाना सीख ले
लिपटकर तू नेह दे, जैसे लता करती यहाँ
धीर धरना सीख ले.................


साथ देना हर किसी का, पर कभी ना बोलना
जिंदगी देना सदा पर, मुख कभी ना खोलना
ना दिखो पर साथ हो, जैसे हवा रहती यहाँ
धीर धरना सीख ले.................


खूबियो से है भरी पर, ऐठ ना दिखती कभी 
डाल झुक जाती वही जो, फूल-फल से है लदी 
है गुणों की खान पर्णी, नम्र पर रहती यहाँ 
धीर धरना सीख ले.................
©शालिनी खन्ना

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गुरुवार, 28 दिसंबर 2023

वेदना के स्वर....


गज़ल (ghazal quotes in hindi

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रात भर जज़्बात ले आगोश में
वेदना के स्वर बड़े मुखरित हुए



अश्रुओं ने साथ जी भर के दिया
ले नयन बोझिल मगर गर्वित हुए


स्याह सूना हैँ लगे अब ये जहां
ज्यों कि दुनिया में हमी शापित हुए


संग जीने का रहा वादा मगर
जी रहे पर मौत की हसरत लिए 


सुख सभी पर एक तुम बिन हाल ये
हँस रहे पर खुशियों से वंचित हुए



ढूंढते हैं नैन तुमको दर बदर
याद करके आप ही द्रवित हुए



मौत सच, है ज़िन्दगी झूठी बड़ी
देख कर ये दास्तां व्यथित हुए।


©शालिनी खन्ना

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शनिवार, 23 दिसंबर 2023

अंतर्जाल के इस युग ने....

         अंतर्जाल की दुनिया(internet of things kya hai )       

internet of things kya hai


अंतर्जाल के इस युग ने दी, ये कैसी मजबूरी है
मन मे खुशी भले ही ना हो, दिखना मगर जरूरी है...


कहां भला मन रमता अब तो, सुन्दर पर्वत वादी में
कहां रखी अब हंसी ठिठोली, अपने जन की शादी में
कर मौके को कैद फोन में , स्टेटस रंगना जरूरी है
मन मे खुशी भले ही ना हो, दिखना मगर जरूरी है...



तार जुड़े ना भले हृदय के ,पर फिर भी अपनापन है
मन के अंदर भले हो पतझड, पर बाहर से सावन है
ऊपर रटते राम राम पर , भीतर रहती छूरी है
मन मे खुशी भले ही ना हो, दिखना मगर जरूरी है...



हर दिन के इकरस जीवन से, सबको पार उतरना है
कभी थियेटर को जाना है, कभी तो शापिंग करना है
मजे कहां मूवी शापिंग के , सेल्फी ही बस धूरी है
मन मे खुशी भले ही ना हो, दिखना मगर जरूरी है..

©शालिनी खन्ना 

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सोमवार, 18 दिसंबर 2023

आ गया अवसान जीवन का मनुज सुन

जिंदगी का सफर (zindagi ek safar hai)

zindagi ek safar hai


आ गया अवसान जीवन का मनुज सुन
त्याग कर दुनिया चलो नूतन सफर को
है धरा रह जायेगा, जो धन कमाया
आचरण ही जायेगा सँग उस डगर को


छोड़ दे अब मोह किसका कर रहा तू
जेब ना होती कफन में सुन पियारे
रात दिन खटता रहा, एक पल रुका ना
चल चला चौसठ घड़ी आठो पहर को


साथ यौवन के तुम्हारे पाप आया
झूठ सच, व्यभिचार सारे साथ लाया
वेदना में क्यूँ पड़ा जीवन गँवाकर
छोड़कर पीयूष अपनाया जहर को


ईश ने अग्रज बना भेजा जहाँ में
भार अवरज का किया तेरे हवाले
स्वार्थवश भू के किये हिस्से तुम्ही ने
प्यार सागर छोड़, पाया धन नहर को


थी जरुरत जन्मदाता को तुम्हारी
आश्रमो में काटते दिन बेबसी के
आस में पथरा गई थी चार आँखे
कौन सी है अब सजा इस बेखबर को


आ गया अवसान जीवन का मनुज सुन 
त्याग कर दुनिया चलो नूतन सफर को
©शालिनी खन्ना 



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सोमवार, 11 दिसंबर 2023

कह रही है ज़िन्दगी

   

जीवन मंत्र  (jeevan mantra in hindi)

jeevan mantra in hindi

मत बिखरना देख गम को, कह रही है ज़िन्दगी

क्या इतरना देख खुशियाँ, कह रही है ज़िन्दगी




रंक राजा होत क्षण मे, दिन बदलता देख ले

हो रहा पल मे प्रलय जो, कह रही है जिंदगी




गर्व करता क्यों भला तू , दे रहा भगवान है

नाम उसका गर्व भंजन, कह रही है जिंदगी




नाज किसका कर रहा तू,आज है तो कल नही

देह माटी मे मिलेगी , कह रही है ज़िन्दगी




साथ रख संवेदनाऐं , गर मिले कोई दुखी

आ निभा इंसानियत को, कह रही है ज़िन्दगी |




मोह-माया मत बढ़ाएं चार दिन की ज़िन्दगी

है कभी मिलना बिछड़ना, कह रही है ज़िन्दगी||

© शालिनी खन्ना

jeevan mantra in hindi

शनिवार, 2 दिसंबर 2023

विरासत में मिले त्यौहार

विरासत में मिले त्यौहार (Tyohar poem in hindi)

Tyohar poem in hindi



है विरासत में मिले त्यौहार कैसे देख लो।
है गले मिलते खुशी सँग प्यार कैसे देख लो।


पूज्य हैं गणपति हमारे, देव सबसे धन्य हैं।
नित करे हम प्रार्थना तो खोलते पथ अन्य हैँ।
हों भरे भंडार सारे अन्न धन से देख लो।
है विरासत में मिले.................................


है कभी माँ शारदे पूजन कभी आराधना।
है कभी दुर्गा कभी लक्खी करूँ मैं साधना ।
साथ सात्विक पौष्टिक आहार कैसे देख लो
है विरासत में मिले...........................


देवता ज्यों मानती, जंगल नदी को पूजती।
चाँद , तारे, सूर्य पर्वत की करे नित स्तुती।
पूजती हैँ धेनु माँ सौ बार कैसे देख लो
है विरासत में मिले.................................


बात सूर्यॉपासना की हो अगर तो जान लो।
दे रहे सेवा सभी जो काम कोई ठान लो।
साथ मिल जुलकर चले परिवार कैसे देख लो।
है विरासत में मिले...........................


है कभी संकल्प लेते , मांगते मन्नत कभी।
शुचि हवन करते कभी तो, जाप करते है कभी।
फिर मिले सुख शाँति का अम्बार कैसे देख लो।
है विरासत में मिले..................................


उम्र लम्बी शांति सुख मांगती संतान की।
दुख न आये जिंदगी भर, श्रेष्ठ हो श्रीमान की।
रख रही व्रत शक्ति बारम्बार कैसे देख लो।
है विरासत में मिले..................................

©शालिनी खन्ना





Tyohar poem in hindi 

गुरुवार, 23 नवंबर 2023

दुआओ से गढी वो चिट्टियाँ

         चिट्ठियाँ(Chitthi i hai lyrics)

                                                                              

  • chitthi i hai lyrics



प्यार में दिल की सियाही, से लिखी वो चिट्ठियाँ
चैन औ दिल के करारो, से पगी वो चिट्ठियाँ |


था कभी पतझड़ सरीखा, यह जहाँ मेरे लिए
रौनके लाती बहारो, से सजी वो चिट्ठियाँ |


ये  नीरस बेरंग होने, थे लगे उस दौर मे
रंग ले आई गुलाबो, मे रखी वो चिट्ठियाँ |


नेह है शायद उसे, पर प्रीत है शायद नहीं
लो गई सुलझा जवाबो, से भरी वो चिट्ठियाँ |


हो गये इतने बडे हम, भूल बैठे है जहाँ 
याद आई फिर दुआओ से गढी वो चिट्ठियाँ |


हाल ना पूछे सुनाये, याद तब आती मुझे
हूँ कुशल चाहूँ , रिवाजो से बन्धी वो चिट्ठियाँ |


वे घने थे बहुत जिनकी छत्रछाया मे पले
याद आती है सुझावो से भरी वो 
चिट्ठियाँ |


चल दिया जो छोड़ जग, को वह भला क्या आयगा
काश! फिर आती सितारो से कभी वो चिट्ठियाँ।।

©शालिनी खन्ना

chitthi i hai lyrics

मंगलवार, 23 मई 2023

आज सुबह जब मैनें अपनी लेखनी उठाई थी

 inspirational kavita in hindi

आज सुबह जब मैनें अपनी लेखनी उठाई थी


inspirational kavita in hindi



आज सुबह जब मैंने अपनी लेखनी उठाई थी.....


चारों दिशाएं शांत थी ,शांत था माहौल


सोंचा जल्दी से बुन डालूं ,मैं शब्दों के जाल…


विषय-वस्तु क्या हो ,दिमाग पर जोर डाला


घूम गई नज़र कमरे मे ,कलम ,घडी या ताला..


’एक प्याली चाय मिलेगी क्या’ पतिदेव की आवाज़ आई थी


आज सुबह जब मैने अपनी लेखनी उठाई थी.....

 


उनके इस आग्रह पर गुस्सा बडा आया था


फिर एक अच्छी पत्नी का ,मैने फर्ज निभाया था..


शांत किया खुद को ,फिर लिया मेज का रुख


इतने में खटपट बच्चों की ,क्रोध से तन गया मुख..


’भैया ने मुझे मारा’ दूसरे कमरे से बिटिया चिल्लाई थी.


आज सुबह जब मैने अपनी लेखनी उठाई थी.....

 


शांत किया उन दोनो को ,फिर लेखन की बारी आई


लिख डालूं दहेज या कन्या-भ्रूण हत्या पर ,सोंच कलम उठाई…


सरकार के रवैये पर लिख डालूं ,जो जनता को रुला रही है,


या पेट्रोलरसोई गैस पर ,जो हर दिन सता रही है…


’दूध ले लो ओ ओ ....’की आवाज़ तब ग्वाले ने लगाई थी.


आज सुबह जब मैने अपनी लेखनी उठाई थी.....

 


मूड हो गया था चौपट ,फिर भी लिखने की शुरु की कवायद


कुछ-न-कुछ रच ही डालूंगी ,सोंच लिया था शायद…


परिस्थितियां अनुकूल नहीपर काम करते जाना है


बहुत कुछ पाकर खोना हैऔर कुछ खोकर पाना है…


इन्हीं बातों को सोंचकर मन-ही-मन मुस्कराई थी.


आज सुबह जब मैने अपनी लेखनी उठाई थी....


©शालिनी खन्ना



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